
(दोहा छंद)
आओ मिलकर हम चलें, स्कूल खुला है आज।
पढ़ना- लिखना है हमें,उत्तम करना काज।।1।।
सुंदर जीवन है मिला,उसको रखो सँवार।
नेह मिला हमको सदा,माँ का है उपकार।।2।।
हमें पहन सुंदर वसन,अब जाना है स्कूल।
मंदिर जैसा स्कूल है,शिक्षक तो हैं मूल।।3।।
हमको मिलता स्कूल में, सारे उत्तम ज्ञान।
पढ़ने- लिखने से मिले,सदा जगत में मान।।4।।
गुरुवर के आशीष से, मिलता सच्चा ज्ञान।
जीवन भी सुखमय बनें,और मिले सम्मान।।5।।
पढ़-लिखकर बनना हमें, शिक्षक और जवान।
हिंद देश के नाम को, सुंदर दो पहचान।।6।।
हमको जाना स्कूल है,पढ़ने लिखने आज।
मिले सफलता जब हमें, करें पिता -माँ नाज।।7।।
परमानंद निषाद 'प्रिय'