Uncategorized
Trending

पितृ ऋण और हमारी जिम्मेदारी

“पावन पितृ का पक्ष है करते पितृ का आह्वान
अंजुलि भर जल अर्पित करते संग
काला तिल का दान
श्रद्धा से श्रद्धा कर करते पुरखों का सम्मान
पितृ पक्ष है पावन पुण्य महान”
हमारे हिंदू धर्म में पितृ ऋण
पूर्वजों के प्रति एक कर्ज है, जो उन्होंने हमें जीवन ,शिक्षा और संस्कार और भी बहुत कुछ दिया है। उसी के बदले
ऋण चुकाया जाता है। यह एक वंशानुगत जिम्मेदारी है जिसे संतान के द्वारा अपने पूर्वजों की सेवा व सम्मान करके चुकाया जाता है। श्राद्ध कर्म करके पितृपक्ष से मुक्ति पाई जाती है, जिससे पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है और वंश की अगली पीढ़ी को आशीर्वाद मिलता है।
“जो भी करता पितृपक्ष का अनुष्ठान
उसे मिलने पितरों का भरपूर आशीर्वाद
जिससे जीवन में सुख -समृद्धि और
शांति है मिलती
पितृपक्ष पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का दिन है आया”
यूं तो चार प्रकार के ऋण होते हैं। जिसमें पितृऋण सर्वोपरि है।
पितृऋण मनुष्य के ऊपर एक प्रकार का ऋण है जो उसके माता-पिता और पूर्वजों के प्रति होता है, जिन्होंने उसे जीवन दिया और उसका पालन पोषण किया। यह ऋण पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है, जिनके कारण हम इस जीवन चक्र का हिस्सा बन पाते हैं। पितृ दिन चुकाने के लिए हमारी जिम्मेदारियां बहुत सारी है जिसे हम निभा कर उनके ऋण से मुक्ति पा सकते हैं। जब पितरों को याद कर दान करते हैं जैसे–वस्त्र का दान और भोजन का दान, तब पितर बहुत प्रसन्न होते हैं। पितरों के नाम पर भोजन बनाकर गरीबों में बांटना चाहिए, इससे पितर प्रसन्न होते हैं। पितृ मंत्र और विधि का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से उनकी असीम कृपा मिलती है। पितरों की पूजा और सम्मान करना चाहिए, करना चाहिए।
पितर खुश हो जाते हैं। यह ऋण हमारे पूर्वजों, हमारे कुल, हमारे धर्म, हमारे वंश आदि से जुड़ा है। इस ऋण को
पृथ्वी का ऋण भी कहते हैं, जो संतान के द्वारा चुकाया जाता है।
पितृऋण को उतारने के लिए या मुक्ति के लिए तीन उपाय बताए गए हैं जिसे करने से हम मुक्ति पा सकते हैं।
धर्म के अनुसार कुल परंपरा का हमें
अक्षरश: पालन करना चाहिए।
पितृ पक्ष में तर्पण और श्रद्धा हमें करना चाहिए।
संतान उत्पन्न करके उसमें धार्मिक संस्कार की शिक्षा देनी चाहिए।
प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। मसतक पर शुद्ध जल का तिलक लगाना चाहिए।
तेरस ,चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़- घी का धूप जलाना चाहिए।
घर के वास्तु को ठीक करना चाहिए।
शरीर के सभी छिद्रों को अच्छी रीति से प्रतिदिन साफ सुथरा रखने से भी यह ऋण हम चुका सकते हैं।
“पितृ पक्ष में पितरों का अलौकिक है
अवतरण
आओ मिलकर हम करें इनका नमन
उनकी उनकी छाया बनी रहे सदा
जीवन में सुख- शांति बनी रहे सदा”

डॉ मीना कुमारी परिहार

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *