
मैया तू वरदायनी देती सबको नित वरदान
कात्यायन ऋषि भक्तिमय होकर बने महान
कठिन उपासना की ऋषि किया तुम्हें प्रशन्न
मन चाहा वरदान पा ऋषि हुए थे अति मग्न
ऋषि की पुत्री रूप में प्रकट हुयी मां प्रशन्न
प्रथम पूजन ऋषि किया माता हुई मन मग्न
कात्यायनी के नाम से देवी मैया हुई प्रसिद्ध
दानवों का अत्याचार था त्राहिमाम सब ओर
शक्ति समाहित की मिल ब्रह्मा विष्णु महेश
दानव का कल्याण भक्तों को दिया वरदान
माता वृज की अधिष्ठात्री वृज को करो महान
चार भुजाएं माता की शोभित कमल तलवार
वर मुद्रा में एक है दूजी अभय मुद्रा में आज
गोपीयों ने पूजन किया कृष्णा हुए उन्हें प्राप्त
मन से पूजा जो करे इच्छित वर मिले आज
शरणागत हूं हृदय से विराजो घर मात आज
डॉ. कृष्ण कान्त भट्ट
एस वी पी सी बंगलौर कर्नाटक