
कमलासन पर विराजे माता, रूप उनका दिव्य भव्य।
भक्तों के हृदय में बहे करुणा, जीवन बने सुखमय सत्य।
सिंहवाहिनी संकट हरने वाली, भक्ति जो करे निरंतर।
जो जुड़े माँ से मन लगा कर, जीवन बने तब उजियार।
माँ के चरणों में जो बसे, हो जाता है जीवन में अंतर,
ध्यान और भक्ति से ही, मन का रूप होता है सुंदर।
बालरूप में स्कंदजी खिलें, माँ के आँचल में सब दिन।
दर्शन मात्र से मिटे अज्ञान, मन हो निर्मल, सुखसिंधु विन।
आरती, भजन, चंदन-रोली, प्रदक्षिणा हर दिन,
भक्ति से जो जुड़े भक्त, पाए जीवन में शुभ चिन।
भाग्य और ज्ञान का संयोग, माँ के चरणों से पाए,
सकल विघ्न, हर संकट, माँ छाया में छिप जाए।
दर्शन से मन हो मुदित, नहीं होता है कभी अशान्त,
उपासना से भक्ति करे, जीवन बने पवित्र और शान्त।
माँ स्कंदमाता की महिमा, शब्दों में वर्णन असंभव,
भक्ति भाव से जो भरे मन, हो जाता है सब सम्भव।
कमलधारी माता कृपा करें, संकट सब दूर करें,
भक्तों के मन में प्रेम और श्रद्धा की ज्योति भरें।
सदैव जो करें ध्यान माँ पर, जीवन सफल हो पाता,
माँ स्कंदमाता की छाया में, हर पथ सुखमय हो जाता।
योगेश गहतोड़ी “यश”