
अतुकांत कविता
जमाना कहता है,
” आईना सच बोलता है”।
पता नहीं क्यों
मेरा दिल कहता है,
“गर आईना सच देख पाता,
शक्ल देखते इंसानों का
दिल टटोल कर
हाल खुद पर झलका पाता,
तो इंसानों के घरों की
दीवारों पर आईना, ना सज पाता।”
सुलेखा चटर्जी,
भोपाल
अतुकांत कविता
जमाना कहता है,
” आईना सच बोलता है”।
पता नहीं क्यों
मेरा दिल कहता है,
“गर आईना सच देख पाता,
शक्ल देखते इंसानों का
दिल टटोल कर
हाल खुद पर झलका पाता,
तो इंसानों के घरों की
दीवारों पर आईना, ना सज पाता।”
सुलेखा चटर्जी,
भोपाल