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राजू धाकड़ (सरल)


खजूरी गोकुल (छापीहेड़ा)
जिला राजगढ़ (मध्यप्रदेश)

हिन्दी मेरे रोम-रोम हे, हिंदी ही मेरा सारा शरीर
हिन्दी में मैं समाया हूँ,हिन्दी की मैं पूजा करता,
हिंदी को ही गया करता हु,क्युकी में
हिन्दुस्तान का जाया हूँ।

सबसे प्यारी भाषा हिन्दी,
जैसे दुल्हन के माथे बिन्दी,
कालिदास, सूर, जायसी, तुलसी कवियों की,
सरित-लेखनी से बही हिन्दी,
हिन्दी से पहचान हमारी,
बढ़ती इससे ही शान हमारी,
हिंदी को गया करता हु ,
क्योंकि
हिंदुस्तान का में जाया हूं।

माँ की कोख से जाना जिसको,
माँ,बहना, सखा-सहेली हिन्दी,
निज भाषा पर गर्व जो करते,
छू लेते आसमान न डरते,
शत-शत प्रणाम सब उनको करते,
स्वाभिमान..अभिमान है हिन्दी…

हिन्दी मेरे रोम-रोम में, हिन्दी में मैं समाया हूँ,
हिन्दी की मैं पूजा करता,हिन्दुस्तान का जाया हूँ।

हिंदी कवियों ने जिस तरह, भारत का मान बढ़ाया हे
आज हम सब मिलकर प्राण करे, भारत का मान बढ़ाएंगे।

विजय हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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