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  • भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई

    उनकी लिखी पंक्तियां आज भी प्रासंगिक है –“काल के कपाल पर लिखता हूंगीत नया गाता हूंअपनों के मेले में मीत…

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  • चतुष्तैत

    (गद्य-सृजन) मानव-जीवन का सत्य केवल बाहरी जगत तक सीमित नहीं है। उसके भीतर भी चार परतें हैं, चार ध्रुव हैं,…

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  • छल-कपट

    (पद्य दोहा छंद) छल के साथी झूठ हैं, कपट सदा ही साथ।सत्य न पावे ज्योति को, अंधकार के हाथ।।1।। कपट…

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  • प्यारी पाती

    मां की आस पिता का संबल,बच्चों की अभिलाषा!प्यारी पाती आती जब थी,पुलकित घर हो जाता!! घरनी घरमें आस लगाएरहती बैठी…

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  • दृष्टिकोण

    दृष्टिकोण को परिवर्तन कर, चश्मे तेरे हेवास्तविक नज़र से देख, सितारे तेरे हे। गर देख पाये तो देख ,वो लहर…

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  • द्वैत

    कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में ऋषि वशिष्ठ रहते थे। वह अपने गहन ज्ञान…

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  • पुस्तैनी मकान

    ( लघुकथा) गाँव के बीचों-बीच अमित के पिताजी का एक पुराना मकान था। लाल मिट्टी की ईंटों से बना, मोटी…

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  • पातञ्जल योग सूत्र

    ।। भूमिका- शेष भाग ।। योग का अर्थ है मिलना, जुड़ना, संयुक्त होना आदि । यह त्रिगुणात्मक प्रकृति अलिंग स्वरूप…

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  • “धरा के आंचल में”

    प्राकृतिक संपदा का अनुपम भंडारछुपा हुआ है, धरा के आंचल में।जैव विविधता है, फिर भी….एक- दूसरे से जुड़े हुए हैं,…

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  • कविता

    सुख कर्ता, दुख हर्ता, गणपति ,विघ्न हर्ता,आया शरण तिहारी , सुन ओ विघ्न हर्ता।। रिद्धि सिद्धि के स्वामी,तुम बुद्धि वाले,करते…

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