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हिंदी आज के परिप्रेक्ष्य में

भाषा राष्ट्र की एकता, अखंडता और प्रगति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। राष्ट्रभाषा संपूर्ण देश में सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता स्थापित करने का प्रमुख साधन है।
भाषा वही, जीवित रहती है, जिसका प्रयोग जनता बोल-चाल में करती है। भारत में हिंदी, लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम है। राजभाषा के रूप में हिंदी को प्रमुखता से स्वीकार किया गया है। क्योंकि यह सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। यह बोलने, लिखने और पढ़ने में सरल है ।

हिंदी का क्षेत्र बहुत विशाल है, तथा हिंदी के अनेक। बोलियां
(उपभाषाएं) हैं। इनमें से कुछ में अत्यंत उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना भी हुई है। कबीर ,तुलसी ,सूरदास, मीरा, मालिक, जायसी, आदि कवियों की रचनाएं इसका उदाहरण हैं । विश्व में हिंदी भाषी लोग करीब 70 करोड़ हैं । यह तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। आज विश्व में 175 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में भी हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है ।

भले ही आज हिंदी की वैश्विक स्थिति काफी बेहतर है ।परंतु विडंबना यह है, कि हिंदी भाषा अपने ही घर में उपेक्षित जिंदगी जी रही है । यहां अंग्रेजी बोलने वालों को तेज-तर्रार और बुद्धिमान तथा हिंदी बोलने वालों को अनपढ़, और गंवार समझ जाता है। राजनेताओं द्वारा हिंदी को लेकर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया जा रहा है। संसद जैसे महत्वपूर्ण सदन में अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते हैं। जबकि हिंदी को कामकाज की राजभाषा घोषित किया गया है । हिंदी दिवस के दिन लंबे-लंबे व्याख्यान देकर हिंदी पखवाड़े का आयोजन करके इतिश्री की जाती है। हिंदी हमारी दोहरी नीति की शिकार हो चुकी है।

उर्मिला ढौंडियाल ‘उर्मि’

देहरादून (उत्तराखंड)

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