
हिन्दी भाषा पर हमें अभिमान होना चाहिए
चाहे कहीं भी रहो इसका ज्ञान होना चाहिए
हिन्दी भाषा के बिना इंसान गूंगा हो गया
भूल कर अपनी भाषा और कहीं खो गया
हिन्दी को तो सदा प्राणों से अधिक प्यार कर
झूमकर दिल से लगा हिन्दी में सब बात कर
हिन्दी भाषा बोलकर जग में भी प्रचार कर
प्रेरित हो सकेंगे और देखकर तेरे प्यार को
हिन्दी भाषा जननी है संविधान में अधिकार है
हिन्दी भाषा के लिए बलिदान ही उपहार है
आज भाषा लूट रही, बीमारी से वह जर्जर है
आंग्ल भाषा आज सबके मुखों पर मुखरित है
भाषा से ही जग में अस्तित्व हम सबका बना
मिट गया यदि कहीं ,फिर न हो सकेगा खड़ा
आज आओ सभी इस बात का दिल संज्ञान लें
गर्व से हिन्दी बोले संकल्प काम करने का ले
डॉ. कृष्ण कान्त भट्ट
सेंट विंसेंट पल्लोटि कॉलेज बंगलौर कर्नाटक
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित रचना