
काव्य
घर में चहल पहल,हँसी का कारण,
तुम बिना सूना लगता है घर आँगन।
कभी खिलखिला कर सवालों की बौछार करता,।
कभी छोटे-से तर्कों से सबको लाचार करता।
कभी चॉकलेट छुपाकर “छोटे बड़े में फर्क करता ।।
कभी खिलौनों को खोलकर “उस पर तर्क करता।।
पढ़ाई से बचने की करता अजीब दलील।
“मम्मी, दिमाग को भी तो चाहिए थोड़ी नील!”
कभी कहते होमवर्क हो गया ।
कभी कहते कॉपी खो गया ।।
तेरी शरारतों में छुपा है मासूम प्यार ।
तेरे तर्कों में भी दिखता है उज्ज्वल संसार।।
खुशियों से भरा हो तेरा संसार ।
आशीषों के साथ ढेर सारा प्यार ।।
श्रीमती प्रतिभा दिनेश कर
विकासखण्ड सरायपाली
जिला महासमुंद