
मुझे आप कैसे भुलाये रहेंगी,
सुरों में हमारे समाये रहेंगी।
तराना सुरों में जो गाये रहेंगी,
तुम्हे याद मेरी दिलाये रहेंगी।
ख़ुदा से हमारी दुआयें रहेंगी,
सदा प्यार राहें सजाये रहेंगी।
तुम्हारी वफ़ा जो नहीं भी मिली तो,
हमारी दुआये वफ़ाएँ रहेंगी।
गज़ाला हमारी, हमेशा रहेंगी,
सुरों में हमारे समाये रहेंगी।
सुलेखा चटर्जी, भोपाल