Uncategorized
Trending

नवरात्रि नवरूप

शैलपुत्री अडिग हिमशृंग समान ।
दृढ़ता से करती जीवन का गान ॥

ब्रह्मचारिणी तप की ज्योति बने ।
धैर्य सुधा से मन को शीतल करे।।

चंद्रघंटा की दिव्य ध्वनि प्रखर ।
अन्यायों पर वार सदा अमर ॥

कूष्मांडा भीतर सृष्टि प्रकटाए ।
अंधकार क्षण में ज्योति जगाए ॥

स्कंदमाता ममता मधुर बरसाए ।
कर्तव्य बीज हृदय में उगाए ॥

कात्यायनी सत्य का दीप जलाए।
अन्याय तिमिर पथ से हटाए ॥

कालरात्रि तम में भी ज्योति जगाए ।
भय के बंधन टूट स्वयम् विलगाए।।

महागौरी निर्मल श्वेत समान।
शांति सुधा भर दे हृदय के प्राण।।

सिद्धिदात्री वर हर साधक पाए ।
पूर्णत्व का रस जग में छाए ॥

ऋचा चंद्राकर “तत्वकांक्षी”
महासमुंद

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *