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  • शहर जल रहा है

    शहर जल रहा है तन्हाई से,लोग उलझे हैं बस खुदाई से। जिस गली से भी मैं गुज़रता हूँ,शोर मिलता है…

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  • राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर

    “नित जीवन के संघर्षों सेजब टूट चुका हो अंतर्मनतब सुख के मिले समंदर कारह जाता कोई अर्थ नहीं”राष्ट्रकवि रामधारी सिंह…

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  • वजह।

    तुम्हारे पाँवों का महावर मुझे बुला रहा है शायद, यह बुलाने की तरकीब अच्छी है तुम्हारी।। तुम रचती मेहन्दी हाथों…

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  • आत्मोत्थान – योगेश की अंतर्यात्रा”

    (गुण, दोष, समाधान और संकल्प सहित) 🌿 (1) पुकार भीतर से – “मैं कौन?” 🌿मैं कौन? कहाँ से आया हूँ?किस…

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  • ख्वाब

    जीवन है तो ख्वाब होना भी लाजमी है। पल पल पर आगे बढ़ने की चाहत ख्वाब ही देते हैं। सपनों…

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  • पिता-माता

    पिता-माता सा जग में,देख लो, कोई न भाता है।सुखद पल इनके संग बीते,न मन इन्हें भूल पाता है।। हमारी नींव…

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  • “रक्षाबंधन पर विशेष”

    भाई-बहन का प्यार धागा हर्षाने लगा,होकर के मजबूत।भाई के कर में बँधा,बहना है अभिभूत।। राखी की फैली महक,अहसासों से प्यार।भाई…

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  • रिश्तों से तन्हाई तक

    यूं ही नहीं भाने लगीं तन्हाइयां हमें,इनकी भी लंबी दास्तान है।रिश्तों की भीड़ से तन्हाई तक ,कई मुकाम आए हैं।।…

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  • (बेटी) तुम्हारे लिए

    किन शब्दों को पिरोऊं कविता में !तुमसे मेरे जीवन में आई बहार है।सूना था मेरा आंचल और आंगन !तुम्हारे आने…

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  • सदैव साथ है

    आशुतोष प्रभु जी अन्तर्यामीसुनो हमारी करूण कहानीमै तो मुर्ख , अजड़ अज्ञानीकरता जाने कितनी नादानी दुष्ट से दुष्ट जो शरण…

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