
ओ बाँसुरी! तू क्यों आई,
क्यों मेरी सौतन कहलाई?
कान्हा के अधरों पर बैठी,
हर पल प्रेम की प्यास बुझाई।
मैं राधा, प्रेम की दीवानी,
हर क्षण राह तकती,
तूने बाँधा ऐसा जादू,
मैं बस विरह में जलती।
तेरी मीठी धुन पर कान्हा ने,
सुध-बुध सबकी है बिसराई,
सुनकर तेरी मधुर ध्वनि को,
सारी गोपियाँ खींची चली आईं।
मेरी अनदेखी में है ,
श्याम की तू परछाई।
पूछूँ मैं गिरधारी से,
“प्यारी मैं या तू कहलाएगी?”
तू तो है एक काठ की डंडी,
मधुसूदन ने अधरों पे सजाई,
फिर क्यों मेरे प्रेम को हरती,
तूने कैसी माया रचाई?
तेरे बिना श्याम अधूरा,
सारा जग यह जानता है,
पर मेरी पीड़ा को,
केवल मेरा मन पहचानता है।
गर तुझे मुझसे इतनी ईर्ष्या,
तू क्यों मेरी महिमा गाए?
तेरे हर स्वर में राधा-राधा का नाम क्यों लहराए?
सुन री बैरन बाँसुरी,
तेरा-मेरा रिश्ता न्यारा,
तू केवल साधन प्रेम का,
राधेकृष्ण का रिश्ता प्यारा।
कान्हा का हर स्नेह तेरा,
पर आत्मा में मैं हूं समाई,
तूने ही तो गुंज गुंज कर,
जग को सारी बात बताई।
ओ बाँसुरी! तू क्यों आई,
क्यों मेरी सौतन कहलाई?
कान्हा के अधरों पर बैठी,
हर पल प्रेम की प्यास बुझाई।
रीना पटले (शिक्षिका)
शास. हाई स्कूल ऐरमा (कुरई)
सिवनी (मध्य प्रदेश)