
रुकने न पाए ज़िंदगी, सत्कर्म किए जा,
लक्ष्य पर निगाह रख, आगे को बढ़ते जा।
इस ज़िंदगी के बहुत ही पथरीले रास्ते,
हैं काँटे कहीं चुभन भरे, सबके वास्ते
छोड़ सबको पीछे,अपने कदम बना जा
पाने को अपनी मंजिल सोपान लगा जा
रुकने न पाए ज़िंदगी, सत्कर्म किए जा।।
लक्ष्य पर निगाह रख, आगे को बढ़ते जा।
आंधियाँ जब भी चलें, तू थम नहीं जाना,
हो चाहे जितना झंझावात, डर न मानना।
गगन को छू ले , अपने पर फैलाए जा
आशा के दीप जला, रौशनी दिखाई जा।
रुकने न पाए ज़िंदगी, सत्कर्म किए जा,।।
लक्ष्य पर निगाह रख, आगे को बढ़ते जा।
हौसलों की डोर को तू कस के पकड़ना
मत झुकना मुश्किलों में कमजोर न पडना,
बदले किस्मत अपनी ऐसे कर्म किए जा
रच दे कहानी नई, जग में नाम कर जा।
रुकने न पाए ज़िंदगी, सत्कर्म किए जा,।।
लक्ष्य पर निगाह रख, आगे को बढ़ते जा।
तूफानों में भी जलाना उम्मीद का दिया,
अंधियारे में भी तूने उजाला भर किया।
हिम्मत को तू अपनी पहचान बना जा
जीवन के रण में तू विजयी होता जा।
रुकने न पाए ज़िंदगी, सत्कर्म किए जा,।।
लक्ष्य पर निगाह रख, आगे को बढ़ते जा।
मंज़िल तुझे बुला रही खुली बाहों से
करके प्रयास बढ़ जानासुगम राहों से
जोश अपने दिल का थमने नहीं देना,
हर सुबह को एक नई उड़ान दे जाना।
रुकने न पाए ज़िंदगी, सत्कर्म किए जा।।
लक्ष्य पर निगाह रख, आगे को बढ़ते जा।।
पुष्पा पाठक छतरपुर मध्य प्रदेश