
रचनाकार सुनील कुमार “खुराना” नकुड़ सहारनपुर उत्तर प्रदेश
पैरों में पैंजनी करती है छम-छम,
मेरे प्यारे पिया है मेरे ईश्वर के सम।
मैंने किया है आज सोलह श्रंगार,
प्यार मुझे अपने पिया से अपार।।
पिया का करवाचौथ पर लिया व्रत,
मेरे पिया प्रदेश में भेजूं उनको खत।
प्रिय आ जाओ पास हमारे प्यारे तुम,
पिया मेरे भेजूं तुमको प्यार के कुसुम।।
बादलों में क्यों छिपा है मेरे प्यारे चांद,
पिया नाम का लिया व्रत तुझे नहीं याद।।
मेरे मन भाएं प्यारे पिया मेरे ही भरतार,
युगों-युगों से जीवन के है मेरे वें करतार।।
माथे पर सजी हैं उनके नाम की बिंदिया,
देख देख उनको मगन होए मेरी अंखियां।
मेरे प्यारे पिया है मेरे जीवन के कैलाशी,
जीवन उनका मेरे लिए अयोध्या काशी।।
आंखों में काजल और माथे पर बिंदिया,
सदा मन भाएं मुझको मेरे ही प्यारे पिया।
मैं भूखी प्यासी मायूस चेहरे पर मेरे खुशी,
मेरे प्यारे पिया को जग में मिले हर खुशी।।
मेरे प्यारे पिया की हो जग में अपार आयु,
हे मेरे चंद्र देव दर्शन पहले तेरे ही मैं पाऊं।
मैं छत पर झॅंझरी से चांद करूं तेरा दर्शन,
वर्ष सहस्र पिया की उम्र दो आशीष वचन।।
सुनील कुमार "खुराना"
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत