
रचनाकार-सुनील कुमार खुराना नकुड़ सहारनपुर उत्तर प्रदेश
बिना श्रद्धा के निरर्थक जीवन,
श्रद्धा से सब कुछ मिलें श्रीमन।
श्रद्धा से मिलती सारी खुशियां,
श्रद्धा से महकती सारी दुनियां।।
जब मन में होगी तुम्हारे श्रद्धा,
तब ही खुश रहते तुम्हारे वृद्धा।
श्रद्धा अच्छे लोगों की पहचान,
जान लें तुम हो धरा के मेहमान।।
श्रद्धा से मिलती बड़ों की सेवा,
बन्दे सेवा में ही छिपा होएं मेवा।
श्रद्धा और श्राद्ध में नहीं अन्तर,
समझें सार वह जो होते धुरंधर।।
तूं श्राद्ध से बड़ों का तर्पण कर,
सुख पाऐंगा जीवन में उम्र भर।
तूं याद कर पीढ़ी के बुजुर्गो को,
सारा जगत याद करेगा तुमको।।
स्वरचित और मौलिक कविता
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुनील कुमार "खुराना"
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत