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बरखा
विधा : हास्य बिहारी हिन्दीदिनांक : 3 अगस्त , 2025दिवा : रविवारजा जा रे बरखा ,अईसा तू तरखा ।धरतीयो हिल…
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मित्रता
दिनांक : 3 अगस्त , 2025दिवा : रविवारमित्रता का भाव ही मैत्री है ,मैत्री है दोनों का सम भाव ।ऊॅंच…
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“रिश्तों की दो आँखें – मित्र और बहन”
(मित्रता और बहिन दिवस पर समर्पित भावपूर्ण कविता) एक हाथ जो थामा बचपन में,वो बहन थी, लोरी की धुन-सी।एक कंधा…
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मैं नेता और देश पर नहीं लिखता
मैं नेता पर नहीं लिखता,और ‘अभी नेता’ पर तो बिल्कुल नहीं।देश पर भी कलम नहीं उठती,क्योंकि नेता ही तो देश…
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मिलन
काले -वस्त्र पहन कर बादल चले मिलन प्रिया के आंगनबदली ने भी रुप सजाया मिलने को आते मेरे अब साजन…
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चलन
फ़र्ज़ अपना, कर्ज़ अपनातो फिर रंज किस बात का?रकाब चाहे घोड़े की हो या जीवन की,चलना तो मुझे ही है…
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राजर्षि टंडन सेवा केंद्र में आज लोकरंजन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सुश्री मंजूश्री की पुस्तक ” जज्बातों का संग्रह” का विमोचन किया गया।
राजर्षि टंडन सेवा केंद्र में आज लोकरंजन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सुश्री मंजूश्री की पुस्तक ” जज्बातों का संग्रह” का विमोचन…
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आंगन की धूप,
आंगन की धूप, तुलसीचौरा लगा आंगन, आंगन की वह सुहानी धूप,वो स्वर्णिम रूप!!! कंक्रीट के जंगल बीच,यह है स्वप्न स्वरूप।आंगन…
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बाँसुरियाँ और सावन।।
जब मन मे प्रीत रही जागी,और कोयल गीत लगे गाती,तो सुन री सखी,पवन कहती, बाँसुरियाँ कही तो है बाजी।। कही…
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किसी ने खूब कहा है–
समकालीन साहित्य सृजन में प्रेमचंद की प्रासंगिकता “ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने कीआप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी…
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