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संत गुरु गोविंद सिंह

गुरु गोविंद सिंह के अनमोल उपदेश
“सवा लाख से एक लड़ाऊं
चिड़ियों सों मैं बाज तुड़ाऊं
तबै गुरु गोविंद सिंह नाम कहाऊं”
“जब आप अपने अंदर बैठे अहंकार को मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति की प्राप्ति होगी”
श्री गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। श्री गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु थे। वे एक महान शूरवीर और तेजस्वी नेता थे। उन्होंने मुगलों के अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई थी और संत “श्री अकाल”का नारा दिया था। इन्होंने कायरों को वीर और वीरों को सी बना दिया था। काल का अवतार बनकर उन्होंने शत्रु के छक्के छुड़ा दिए थे। इस तरह उन्होंने धर्म ,जाति, और राष्ट्र को नया जीवन दिया था।
“संत वही, वही योद्धा
गृहस्थ हुए सन्यासी भी
महाकवि वे”दशम ग्रंथ”के
पूर्ण हुए गुरु ग्रंथ भी”
गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था। इनके पिताजी का नाम गुरु तेग बहादुर सिंह था,जो सिखों के नवें गुरु थे तथा उनकी माता जी का नाम भाम गुजरी था। गुरु गोविंद सिंह के जन्म के समय उनके पिता असम में धर्म उपदेश के लिए गए थे। मार्च सन 1672 में गुरु गोविंद सिंह का परिवार आनंदपुर में आया। यहां इन्होंने अपनी शिक्षा ली। जिसमें इन्होंने पंजाबी,संस्कृत और फारसी की शिक्षा प्राप्त की, 11 नवंबर सन 1675 को कश्मीरी पंडितों ने जबरन मुस्लिम धर्म अपनाने के विरुद्ध शिकायत करने पर औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर सिंह का सर कटवा दिया। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात 29 मार्च सन 1676 को बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह को सिख धर्म का दसवां गुरु बनाया गया।
नव वर्ष की अल्प आयु में ही वे एक वीर योद्धा बन चुके थे। अपने पिता गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने उनके अंदर अत्याचारों से लड़ने और उसका डटकर मुकाबला करने की असीम शक्ति भर दी थी। गुरु गोविंद सिंह ने धर्म के लिए अपने समस्त परिवार का बलिदान कर दिया। जिसके लिए उन्हें “सर्वस्व दानी”
भी कहा जाता है।
“महापुत्र वे महापिता वे
राष्ट्रभक्त समदर्शी थे
‘ पंथ खालसा ‘के निर्माता
अनुपम संत सिपाही थे”
गोविंद सिंह एक महान लेखक, फारसी तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की। उनकी जयंती सिख धर्म के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और सिख धर्म के लोगों को कई सकारात्मक बातें सिखाई थी। वे एक महान आध्यात्मिक गुरु,योद्धा दार्शनिक और कवि थे।
“आओ हम सब याद करें
गुरु गोविंद सिंह के बलिदान को
जिसने हिंदू धर्म की खातिर
क्या न्योछावर प्राण को”
“वाहेगुरु का आशीष सदा मिले
ऐसी है कामना मेरी
गुरु की कृपा से आएंगी
घर-घर में खुशहाली
गुरु गोविंद सिंह को कोटि-कोटि नमन!!

डॉ मीना कुमारी परिहार

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