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  • तुलसी जयन्ती

    तुलसी जयन्ती एवम् “काव्यायनी” की 42वीं वर्षगाँठ पर “तुलसी साहित्य अकादमी” वाराणसी-शाखा एवं “वरुणोत्तरा” साहित्यक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में…

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  • शीर्षक: मेरी पहचान

    मेरी बस इतनी सी पहचान हैं,,किसी की बेटी हूं मैं, किसी की बहु मैं,,किसी की पत्नी हूं मैं, किसी की…

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  • समकालीन साहित्य सृजन में प्रेमचंद की प्रासंगिकता

    किसी ने खूब कहा है-- “ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने कीआप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है”प्रेमचंद हिंदी…

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  • वैद्यनाथ

    दिनांक : 1 अगस्त , 2025दिवा : शुक्रवारगतिमान होना ही जीवन है ,हर श्वास ही होता विश्वास ।गति रुकना जीवन…

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  • संस्मरण: खट्टी-मीठी यादें

    हमारे उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों की यादें मेरे मन में आज भी किसी झरने की तरह बहती रहती हैं। कभी…

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  • नियति

                              अपने और अपने भविष्य के लिए सभी सुंदर सपने देखते हैं। यह स्वाभाविक ही है कि हर कोई अपने लिए उत्कृष्ट…

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  • संगीत

    (स्वरचित कविता) वाद्य बजे, सुर छेड़े मन को, ताल लगे जैसे थिरकाए जन को। राग उठे जब वीणा से झर-झर, भाव बहे, बन…

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  • जादुई पेड़।

    कहानी,काव्यांश मे।। जादुई पेड़ था इक रहा,जहा करते फल सब वास,कामना थी बस करनी रही,और छोड़ना था वक्त के हाथ।।…

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  • “सादा जीवन उच्च विचार”

    जीवन में हमें करने होंगे, सदा प्रेम और सत्य का ब्यवहार |खान-पान शाकाहारी हो,मन में आएंगे तब उच्च विचार ||सादा…

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  • श्री गणेशाय नमः !

    शुभ संवत् २०८२ श्रावणमास पूर्णिमा के अवसर पर श्रावणी पूर्णिमा तथा रक्षाबंधन के पर्व दिनांक 9 अगस्त 2025 दिन शनिवार…

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